Katha Trideva Ki (Brahma, Vishnu, Mahesh) / कथा त्रिदेव की (ब्रह्मï, विष्णु, महेश)
Author
: Ram Nagina Singh
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242103
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xii + 68 Pages, Biblio, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.

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कथा त्रिदेव की
सभी पुराणों तथा प्राचीन ग्रन्थों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की अनेक कथाओं और क्रियाओं के विभिन्न प्रकार के वर्णन मिलते हैं। एक पुस्तक पढऩे के बाद दूसरी पुस्तक देखने पर थोड़ा अन्तर अवश्य मिलता है, परन्तु मूल रूप से कथाओं की समानता ही मिलती है। पुराणों की कथाओं को ही आधार मान कर उपकथाओं की रचना होने लगी। आधुनिक समय में शोधकर्ताओं ने अपने-अपने मतानुसार व्याख्या प्रस्तुत की है। पुस्तकें पढ़ते समय जो सर्वविदित तथा चर्चित प्रसंग मेरी समझ में जनसामान्य के लिए उपयोगी तथा रोचक लगे, उनको इकट्रठा कर पाठकों के सम्मुख रखने का छोटा-सा प्रयास है। कहीं-कहीं उपर्युक्त प्रकार के प्रसंगों में अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार दो शब्द जोड़ दिये गये हैं। ब्रह्मा सृष्टिकर्ता, विष्णु पालनकर्ता और महेश संहारकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। जनसाधारण में यही जानकारी प्रचलित है। परन्तु शंकर को ही सर्वश्रेष्ठ या ज्येष्ठ देव माना जाना उचित प्रतीत होता है। शंकर प्रसन्न होकर मुँहमागा वरदान देकर देव और मानव सभी के लिए समस्या उतपन्न कर देते थे। जब ब्रह्मा और अन्य देवों की समझ में कोई समाधान नहीं मिलता था तब विष्णु की शरण में जाने पर ही कोई रास्ता मिलता था। ऐसी अनेक घटनाएँ घटित हुई, परन्तु शंकर की दानशीलता सदैव पूर्ववत् बनी रहती। अत: यह मानना ही होगा कि सम्भवत: इसी करण दोनों बड़े देवों की अपेक्षा शंकर के मन्दिरों की अधिकता आज भी देखने को मिलती है। इस पुस्तक में किसी को छोटा या बड़ा बनाने की चेष्टा नहीं की गई है बल्कि पाठकों को इन देवों के कार्यकलाप के आधार पर स्वयं मूल्यांकन करने की पूरी छूट दी गई है। धर्मान्धता तथा अन्धविश्वास धर्म का आधार नहीं होना चाहिए।  
विषय-क्रम : १. प्रलय-ब्रह्मा दृष्टि, २. नारायण, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ३. विष्णु के अवतार रामचन्द्र, ४. शिवपत्नी सती को श्रीराम पर सन्देह, ५. हिमवान, मेना, पार्वती और शिव, ६. शिव, वाणासुर और श्रीकृष्ण, ७. शैव, सन्दर्भ ग्रन्थ।