Jauhar / जौहर [वीर-करुण-रस-सिक्त अद्वितीय महाकाव्य]
Author
: Shyam Narayan Pandey
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 2019
ISBN
: 9789387643154
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxxii + 204 Pages; Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

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'बोलो राणा के वंशधरो, बोलो रावल के वंशधरो, रावल की मुक्ति के लिए यदि युद्ध से इन्कार करते हो तो बोलो, आँधी से अपनी तूफानी गति मिला दूँ? महिषमर्दिनी महाकाली -सी गरजूँ? और क्षणभर में ही वैरियों के कलेजे चीरकर रक्त चूस लूँ? बोलो, शेषनाग की तरह करवट लूँ? और पलक भाँजते सारी पृथ्वी को चूर-चूर कर धूल से मिला दूँ? बोलो महाप्रलयकालीन ज्वाला की तरह भभकूँ और बात की बात में सारी सृष्टिï जलाकर भस्म कर दूँ? उत्साह न हो तो बोलो, किसी सम्राट में क्या, चराचर-सर्जन-कर्ता ब्रह्मïा, देवाधिदेव विष्णु और गणों सहित भूताधिपति रुद्र में भी चित्तौड़ की प्रबल गोद से मुझे छीन लेने की शक्ति नहीं है। '' आकाश से ध्वनि, पृथ्वी से गन्ध और अग्रि से ज्वाला गो दूर करना कठिन है, असम्भव है। अलाउद्दीन उन्मत्त की भाँति पद्यिनी को ढँूढ़ रहा था, लेकिन पद्यिनी नहीं मिली। ''जिसके लिए मैने चित्तौड़ को धूल में मिला दिया, वह विश्वमोहिनी पद्यिनी कहाँ है? उसका क्या पता है? बताओ, एक-एक मणि दूँगा। चिता की धूम से ज्योति और ज्योति से हाथों मेंं कटार लिये महारानी पद्यिनी भैरवनाथ कर अलाउद्दीन की ओर बढ़ी, उसकी हिंसक आँखों से चिनगारियाँ निकल रही थीं। खून की प्यासी तलवार उसकी गर्दन पर गिरने ही वाली थी कि उसकी आँखें बन्द हो गयीं। मूच्छिर्त होकर गिर पड़ा। उसकी सारी कामनाएँ उसके मुँह से गाज होकर निकलने लगीं। साथ के सिपाही उस जीवित मुर्दे को उठाकर दिल्ली ले गये।