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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष पर प्रकाशित प्रस्तुत ग्रन्थ महामना पण्डित मदनमोहन मालवीय के बहुआयामी व्यक्तित्व तथा वैचारिकी के समन्वित कलेवर में गुम्फित मालवीय-दर्शन के सुधी अध्येता एवं साधक प्रो० देवव्रत चौबे के प्रेरणास्पद तथा गम्भीर व्याख्यानों का अभूतपूर्व संग्रह है। इस ग्रन्थ में प्रो० चौबे ने सनातनी अद्वैत दृष्टि के आलोक में वैश्विक चुनौतियों तथा सामाजिक समस्याओं के निदान के प्रति एक ईमानदार सार्थक प्रयास किया है। इसमें धर्म, ईश्वर, नीति, शिक्षा एवं इतिहास विवेचन के क्रम में जहाँ गीता, बौद्ध तथा वर्णाश्रम आदि विषयों पर गम्भीर चिन्तन है, वहीं स्वराज्य विषयक मालवीय-दृष्टि की गहन समीक्षा भी है। आज की ज्वलन्त समस्या पर्यावरण असंतुलन के समाधान के प्रति मालवीय जी की सम्पोष्य दृष्टि का व्यावहारिक विवेचन इस ग्रन्थ की विशिष्टता है। 'विद्वानेवहि जानाति विद्वज्जनपरिश्रमम्’ के भाव के साथ विश्वास है, विद्वत् समुदाय इसका अवगाहन एवं स्वागत करेगा।