Vigyan Aur Vedant / विज्ञान और वेदान्त
Author
: Mandhata Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Sociology, Religion & Philosophy
Publication Year
: 1981
ISBN
: 9VPVAV
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 284 Pages; Size Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
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VIGYAN AUR VEDANTA
[Science and Vedanta]
A Critical Analysis of Science in the Pure Light of Sankhya
Vedanta and Yogi Philosophy
विज्ञान और वेदान्त
'विज्ञान और वेदान्त' अध्ययन और चिन्तन के क्षेत्र में नयी चुनौती के रूप में प्रस्तुत हो रही है। लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के गीताभाष्य के बाद यह दूसरी पुस्तक है जिसमें एक विद्वान ने आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को मथकर बुद्धि और तपस्या का सुन्दर समन्वय किया है।
चिन्तक मान्धातासिंह का विश्वास है कि सापेश सृष्टि-रहस्य की पहली महत्त्वपूर्ण व्याख्या सांख्यशास्त्र के प्रणेता महर्षि कपिल ने की थी। आधुनिक युग में आइन्स्टीन ने इसी सांख्यतत्व को सापेक्षवाद (Relativity) के रूप में वैज्ञानिक ढंग से प्रतिष्ठित किया। यह सारा जगत अहं (Ego) की प्रतिपत्ति है। इसे अहं से जाना-समझा जाता है। लेकिन अहं का परिष्करण इन्द्रियातीत स्तर पर ही होता है। मनुष्य की सारी ज्ञानात्मक उपलब्धियाँ उसी चरम विज्ञान में सम्पन्न होंगी।
यह पुस्तक तिलक, अरविंद, रजनीश जैसे विचारकों की परम्परा में एक नया नाम जोड़ती है। रामकृष्ण और विवेकानन्द का आशीर्वाद ही इस शताब्दी के उत्तरचरण में उनकी एक मानसी संतति को विज्ञान और वेदान्त के स्रष्टा के रूप में प्रत्यक्ष कर रहा है।
यह पुस्तक एक संगठित चिन्तन का मध्यान्तर है। 'गीता और विज्ञान' नामक ग्रन्थ में इस ज्ञान का प्रथम प्रकाश दिखाई पड़ा था और 'योगरहस्य' में इस चिन्तन का चरम प्रकाश दिखाई पड़ेगा।
हम गर्व के साथ प्रबुद्ध चिन्तकों का अभिमत आमन्त्रित करते हैं।