Rasabhivyakti / रसाभिव्यक्ति (रीति-गुण, वक्रोक्ति, आचार्य गुप्त निरूपित रस प्रक्रिया)
Author
: Dasharath Dwivedi
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Sanskrit Literature
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242944
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 152 Pages, Biblio., Append., Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.
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कला शिव-शक्ति का समुल्लास है। आनन्द इसका सहजात धर्म है। नृत्य, चित्र, सङ्गïीत, शिल्प तथा काव्य सभी में यह शाश्वत रूप से अनुस्यूत है। आनन्द का अपर पर्याय रस है। आचार्य भरत से लेकर पण्डितराज जगन्नाथ तक संस्कृत काव्यशास्त्र के सभी आचार्य किसी न किसी रूप में रस की चर्चा करते हैं। प्रातिभ कवि की रससिद्ध रचना में रस समर्पण का केन्द्र बिन्दु होते हैं गुण। गुणों का निखार सुव्यवस्थित रीति या मार्ग में ही सम्भव है। इसीलिये संस्कृत काव्यशास्त्र के पूर्वाचार्यों ने इन पर प्रभूत प्रकाश डाला है। वक्रोक्ति सिद्धान्त के अद्वितीय आचार्य कुन्तक की काव्य-तत्त्वविवेचनपद्धति अपूर्व है। यह अपूर्वता उनकी वक्रोक्तिजीवितम् में अभिव्याप्त है। प्रतीयमान अर्थ का अवलाप किये बिना भी समग्र ध्वनिप्रपञ्च का विचित्राभिधा वक्रोक्ति मैं समाधान तथा रससमेत सभी काव्यतत्त्वों की उनकी नूतन व्याख्या अनायास ही मन को छू लेती है।