Press Vidhi (Press Law) / प्रेस विधि [पत्रकारिता और समाचार पत्र-उद्योग से सम्बद्ध कानून]
Author
: Nand Kishore Trikha
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Journalism, Mass Communication, Cinema etc.
Publication Year
: 2018, 8th Edition
ISBN
: 9789387643062
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xvi + 336 Pages, Append., Gloss., Size : Demy i.e. 22.5 x 14 Cm.

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प्रेस विधि

भारत के संविधान के अन्तर्गत देश के प्रत्येक नागरिक को 'वाक् और अभिव्यक्ति' की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्राप्त है। इसी से प्रेस की स्वतंत्रता की प्रत्याभुति भी नि:सृत होती है। लेकिन संविधान जहाँ यह स्वतंत्रता प्रदान करता है वहीं इस पर निर्बन्धन लगाने का अधिकार राज्य को देता है। और राज्य ने अनेक कानून बनाकर कई निर्बन्धन लगा दिये हैं।

एक जीवन्त लोकतंत्र के लिए जनमत के सुशिशक्षित और जागरूक होने की आवश्यकता को देखते हुए वांछनीय है कि अभिव्यक्ति के प्रवाह को परिसीमित करने के नकारात्मक कानूनों के बजाय सूचनाओं का अधिक मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करने वाली सकारात्मक विधि विकसित की जाए।

विश्व भर में आज की पत्रकारिता का स्वरूप कहीं', कब', कौन', क्या' की अपेक्षा 'क्यों' की अपेक्षा 'क्यों' और 'कैसे' की जिज्ञासा को शानेत करने तथा अपने लोकदायित्व को निभाने की अन्त:प्रेरणा के (और दुर्भाग्य से, कभी-कभी सनसनी की खोज के) फलस्वरूप बदल रहा है। इससे अन्वेषणात्मक पत्रकारिता की विधा ने निखार पाया है। यह विधा कठिन, श्रमसाध्य और जोखिमभरी है। जोखिम का कारण जहाँ रहस्यके आवरण के नीचे दबे पड़े तथ्यों के प्रकट होने से प्रभावित व्यक्तियों, सरकारों और सरकारी गैर-सरकारी संगठनों का कोप होता है वहाँ पत्रकारों को उनके कार्यों से सम्बद्ध कानूनों का समुचित ज्ञान न होना भी है। कानूनों की जानकारी रहने पर पत्रकार जहाँ इनके शिंकंजे से बच सकता है वहाँ वह इन्ही का लाभ उठाकर अपना कार्य अधिक प्रभावी ढंग से कर सकता है।

प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी में ऐसी प्रथम कृति है जिसमें उन सभी संवैधानिक और विधिक संधारणाों, मान्यताओं, अधिनियमों और उनकी व्याख्यानों को एक स्थान पर और एकीकृत रूप में लिपिबद्ध किया गया है जो प्रेस पर लागू होती हैं। यह एक क्लिष्ट तकनीकी विषय है लेकिन इसका प्रस्तुतिकरण इस तरह से करने का प्रयास किया गया है िक यह बोझिल न हो और सामान्य पाठक भी इसे समझ सके, क्योंकि प्रेस से उनका अपना लोकतांत्रिक हित जुड़ा है। यह उल्लेखनीय है कि एक मात्र प्रेस से सम्बद्ध कानून गिने चुने ही हैं। अधिसंख्य अधिनियम और कानूनी उपबन्ध ऐसे हैं जो प्रेस समेत सब पर लागू होते हैं। इनसे हर नागरिक के वाक् और अभिव्यक्ति तथा वृत्ति की स्वतंत्रता के अधिकार प्रभावित होते हैँ। इसलिए उसके लिए भी इन्हें जानना उपयोगी है।
पुस्तक को प्रेस से सम्बद्ध व्यक्तियों, प्रशिक्षणार्थियों और आम पाठकों के साथ-साथ वकीलों, न्यायाधिकारियों, टीकाकारों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए भी न्यायिक निर्णयों के आवश्यक सन्दर्भ देकर उपयोगी बनाने का यत्न किया गया है। सम्बद्ध अधिनियमों को तत्काल देख पाने के लिए मुख्य अधिनियमों के परिशिष्ट शामिल किये गये हैं। इनमें उन धाराओं उपधाराओँ को छोड़ दिया गया है जो बहुत संगत या महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। संवैधानिक उपबन्धों और प्रमुख कानूनों का विवेचन भिन्न-भिन्न अध्यायों में किया गया है। शेष अधिनियमों को एक अध्याय में समेटना उचित समझा गया है। विभिन्न कानूनों में सुधार के सुझावों को यथास्थिति सम्मिलित किया गया है।