Kabir Vangmaya [Part 3] : SAKHI / कबीर वाङ्मय [खण्ड-३] साखी (भावार्थबोधिनी व्याख्या सहित)
Author
: Mahatma Kabir Das
  Jaidev Singh
  Vasudeo Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2021 - 6th Edition
ISBN
: 9788171248094
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xxviii + 352 Pages, Index, Size: Demy i.e. 23 x 14 Cm.

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कबीर-वाणी, रमैनी, सबद और साखी तीन रूपों में अभिव्यक्त हुई है। कबीर वाणी के अनेक पाठ मिलते हैं। विद्वान् सम्पादकों ने कबीर वाणी समस्त पाठों को सामने रख और कबीर सम्प्रदाय में प्रचलित पाठों और शब्दों पर विचार करते हुए यह प्रामाणिक संस्करण प्रस्तुत किया है। आशा है कबीर साहित्य के अध्येताओं को कबीर वाणी के अध्ययन में ये ग्रन्थ सहायक होंगे—खण्ड 1 : रमैनी, खण्ड : सबद, खण्ड 3 : साखी। क्रम : उपोद्घात, 1. गुरुदेव को अंग, 2. सुमिरन को अंग, 3. बिरह को अंग, 4. ग्यान बिरह को अंग, 5. परचा को अंग, 6. रस को अंग, 7. लाँबि को अंग, 8. जरणाँ को अंग, 9. हैरान को अंग, 10. लै को अंग, 11. निहकर्मी पतिव्रता को अंग, 12. चितावणी को अंग, 13. मन को अंग, 14. सूषिम मारग को अंग, 15. सूषिम जनम को अंग, 16. माया को अंग, 17. चाँणक को अंग, 18. करनी बिना कथनी को अंग, 19. कथनी बिना करनी को अंग, 20. कामी नर को अंग, 21. सहज को अंग, 22. साँच को अंग, 23. भ्रम विधौंसण को अंग, 24. भेष को अंग, 25. कुसंगति को अंग, 26. संगति को अंग, 27. असाधु को अंग, 28. साधु को अंग, 29. साधु साषीभूत को अंग, 30. साधु महिमा को अंग, 31. मधि को अंग, 32. सारग्रही को अंग, 33. विचार को अंग, 34. उपदेश को अंग, 35. बेसास को अंग, 36. पीव पिछाँणन को अंग, 37. बिर्कताई को अंग, 38. सम्रथाई को अंग, 39. कुसबद को अंग, 40. सबद को अंग, 41. जीवत मृतक को अंग, 42. चितकपटी को अंग, 43. गुरु सिष हेरा को अंग, 44. हेत प्रीति सनेह को अंग, 45. सूरातन को अंग, 46. काल को अंग, 47. सजीवनि को अंग, 48. अपारिष को अंग, 49. पारिष को अंग, 50. उपजणि को अंग, 51. दया निरबैरता को अंग, 52. सुन्दरि को अंग, 53. कस्तूलिया मृग को अंग, 54. निन्द्या (निन्दा)को अंग, 55. निगुणाँ को अंग, 56. बीनती को अंग, 57. सषीभूत को अंग, 58. बेली को अंग, 59. अबिहड़ को अंग, साखियों की वर्णानुक्रम सूची।