Prachin Bharatiya Rajneetik Vichardhara / प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारधारा
Author
: Lallanji Gopal
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: History, Art & Culture
Publication Year
: 1999
ISBN
: 8171242243
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 260 Pages, Append., Biblio., Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.

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प्राचीन भारत की राजनीति के स्वरूप के विषय में पाश्चात्य विद्वानों की भ्रामक धारणा रही है। वे भारत के प्राचीन साहित्य में से राजशास्त्र पर पृथक ग्रन्थ ढूँढऩे लगे, जबकि स्थिति इससे सर्वथा भिन्न थी। नीतिशास्त्र अथवा राजशास्त्र (राजधर्म) उस सार्वभौमिक और व्यापक धर्म का अंश था जो व्यक्ति, समाज और राज्य सभी के कार्य-कलापों का नियम करता था। उनकी दृष्टिï में राज्य और समाज दो भिन्न तत्त्व हैं। भारतीय राजनीति का सही अध्ययन उसकी सामाजिक तथा धाॢमक व्यवस्थापनाओं की पूर्ण जानकारी के बिना सम्भव नहीं है। प्रस्तुत पुस्तक में राजनीति के इसी स्वरूप को आधार बनाकर राजतन्त्र का विवेचन किया गया है। भिन्न-भिन्न युगों की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए इसमें राज्य की अवधारणा, राजसत्ता की सीमा, राजा के कत्र्तव्य और अधिकार, राज्य के दण्ड अथवा उसकी प्रतिरोधी शक्ति, मन्त्रिपरिषद्, कर-व्यवस्था तथा प्रशासकीय इकाइयों आदि की सूक्ष्म विवेचना की गई है। आधुनिक युग के सन्दर्भ में इसकी अत्यन्त उपयोगिता है। पुस्तक सर्वथा एक नये दृष्टिïकोण से लिखी गई है। विश्वास है यह इतिहास, राजनीति, राजशास्त्र, लोक प्रशासन एवं समाजशास्त्र के छात्रों एवं अध्येताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। विषय-सूची : 1. प्राचीन भारत में राजनीति, 2. वैदिक वाङ्गïमय (प्रकरण 1 : समाज और धर्म का स्वरूप, प्रकरण 2 : राजनीतिक चिन्तन का रूप), 3. कल्पसूत्र का काल (प्रकरण 1 : समाज तथा धर्म की पृष्ठïभूमि, प्रकरण 2 : राजनीतिक परम्परा), 4. पूर्वकालीन बौद्ध तथा जैन साहित्य (प्रकरण 1 : महावीर और बुद्ध के काल में समाज तथा धर्म में परिवर्तन, प्रकरण 2 : राजनीतिक विचार का विवेचन), 5. कौटिल्य कृत अर्थशास्त्र (प्रकरण 1 : समाज और धर्म की प्रक्रिया, प्रकरण 2 : राजनीतिक तत्वों का विमर्ष), 6. महाभारत (प्रकरण 1 : समाज और धर्म की स्थिति, प्रकरण 2 : राजनीतिक चिन्तन) 7. पूर्ववर्ती स्मृति ग्रन्थ (प्रकरण 1 : सामाजिक व्यवस्था और धर्म का विकास, प्रकरण 2 : राजनीतिक विचार), परिशिष्टï, सहायक ग्रन्थ सूची।