Kabir Bijak Ka Bhasha Shastriya Adhyayan / कबीर बीजक का भाषा शास्त्रीय अध्ययन
Author
: Shukdeo Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Grammar, Language & Linguistics
Publication Year
: 1978
ISBN
: 9APKBKBSAH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xx + 182 Pages, Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

MRP ₹ 150

Discount 15%

Offer Price ₹ 128

'बीजकÓ की भाषा अवधी और ब्रज के साहित्यिक रुप में प्रतिष्ठिïत होने के पहले की भाषा है। हिंदी मसनवींकारों तथा तुलसीदास ने अवधी को प्रतिष्ठित किया। पद और कबित्तकारों विशेषरूप से सूर-तुलसी ने ब्रज भाषा को साहित्यिक गौरव दिया। सूर के पहले ब्रजभाषा का बहुत स्पष्ट इतिहास नहीं है। यदि 'कबीर बीजकÓ के पहले पूर्वी बोलियों का साहित्यिक इतिहास नहीं मिलता तो इससे विचलित होने का कोई कारण नहीं है। जनपदीय भाषाएँ मूर्धन्य मेधा के द्वारा सहता साहितित्यक बन जाती है। यदि कबीर के बाद सूर और तुलसी जैसे मेधावी कवियों ने ब्रज और अवधी को प्रतिष्ठित नहीं कर दिया होता तो ' बीजकÓ की भाषा ही प्रकृष्ट साहितित्यक भाषा के रुप में स्थिर हुई होती। ' बीजकÓ की भाषा, मध्यकालीन हिंदी भाषा के प्रवाह में एक ऐसे द्वीप की तरह है जिसके आस-पास ब्रज और अवधी की धाराएँ बह रही हैं लेकिन, जिसका कण-कण प्राचीन भोजपुरी के जल से आद्र्र है।