Chhayavad Ke Pratinidhi Kavi / छायावाद के प्रतिनिधि कवि
Author
: Vijaypal Singh
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 2013
ISBN
: 9788171249930
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 128 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 13.5 Cm.
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A Collection of famous poems of famous Hindi Poets.
1. Jaishankar Prasad (Jaag Ri, Mere Navik, Ari Varuna Ki Shant Kachhar, Peshola Ki Pratidhwani, Aansoo, Shraddha, Lajja), 2. Nirala (Jaago Fir Ek Baar, Sandhya Sundari, Badal Raag, Vidhava, Ram Ki Shakti Puja, Gahan Hai Yah Andh Kara, Sneha Nirjhar Bah Gaya Hai, Sroj Smriti) 3. Sumitranandan Pant (Pratham Rashmi, Granthi Parvat Pradesh Mein Pavas, Maon Nimantran, Parivartan, Naukavihar, Drut Jharo, Baapu Ke Prati, Taaj) 4. Mhadevi Verma (Vasant Rajani, Jeevan Virah Ka Jaljaat, Been Bhi Hoon Main Tumhari Ragini Bhi Hoon, Roopasi Tera Dhan Kesh Paash, Main Bani Madhumas Aali, Kya Pujan Kya Archan Re, Main Neer Bhari Dukh Ki Badali, Chir Sajag Aankhe Unnidi, Panth Hone Do Aparichit, Mandir Ka Deep, Sab Aankho Ke Aansoo Ujale.
प्रमुख हिन्दी कवियों की कविताओं का संग्रह। १. जयशंकर प्रसाद (जाग री, मेरे नाविक, अरी वरूणा की शान्त कछार, पेशोला की प्रतिध्वनि, आँसू, श्रद्धा, लज्जा) 2. निराला (जागो फिर एक बार, सन्ध्या सुन्दरी, बादल राग, विधवा, राम की शक्ति पुजा, गहन है यह अन्ध कारा, स्नेह निर्झर बह गया है, सरोज स्मृति 3. सुमित्रानन्दन पन्त (प्रथम रश्मि, ग्रन्थि, पर्वत प्रदेश में पावस, मौन निमन्त्रण, परिवर्तन, नौका विहार, द्रुत झरो, बापू के प्रति, ताज) 4. वसन्त रजनी, जीवन विरह का जलजात, बीन भी हँू मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ, रूपसि तेरा धन केश पाश, मैं बनी मधुमास आली, क्या पूजन क्या अर्चन रे, मै नीर नीर भरी दुख की बदली. चिर सजग आँखें उन्नीदी, पंथ होने दो अपरिचित, मन्दिर का दीप, सब आँखों के आँसू उजले)
प्रमुख हिन्दी कवियों की कविताओं का संग्रह। १. जयशंकर प्रसाद (जाग री, मेरे नाविक, अरी वरूणा की शान्त कछार, पेशोला की प्रतिध्वनि, आँसू, श्रद्धा, लज्जा) 2. निराला (जागो फिर एक बार, सन्ध्या सुन्दरी, बादल राग, विधवा, राम की शक्ति पुजा, गहन है यह अन्ध कारा, स्नेह निर्झर बह गया है, सरोज स्मृति 3. सुमित्रानन्दन पन्त (प्रथम रश्मि, ग्रन्थि, पर्वत प्रदेश में पावस, मौन निमन्त्रण, परिवर्तन, नौका विहार, द्रुत झरो, बापू के प्रति, ताज) 4. वसन्त रजनी, जीवन विरह का जलजात, बीन भी हँू मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ, रूपसि तेरा धन केश पाश, मैं बनी मधुमास आली, क्या पूजन क्या अर्चन रे, मै नीर नीर भरी दुख की बदली. चिर सजग आँखें उन्नीदी, पंथ होने दो अपरिचित, मन्दिर का दीप, सब आँखों के आँसू उजले)