Tarkasangraha / तर्क-संग्रह: (तर्कदीपिक्यासमेत:)
Author
: Shiv Shankar Gupta
Language
: Hindi
Book Type
: Text Book
Category
: Sociology, Religion & Philosophy
Publication Year
: 2022
ISBN
: 9788171248537
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: xvi + 92 Pages, Append., Size : Demy i.e. 21 x 13 Cm.
MRP ₹ 50
Discount 15%
Offer Price ₹ 43
भारतीय दर्शन के साहित्य का प्रवेशद्वार न्यायशास्त्र है। इसके परिज्ञान के बिना संस्कृत साहित्य के किसी विषय जैसे—व्याकरण, काव्य, आयुर्वेद, धर्मशास्त्र आदि तथा भारतीय दर्शन की अन्य प्रणालियों का यथार्थ बोध सर्वथा असम्भव है। वस्तुत: संस्कृत साहित्य का वैदुष्य प्राप्त करने में न्याय और व्याकरण दोनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मनु के अनुसार जो तर्क का आश्रय लेता है, वही भारतीय धर्म का स्वरूप समझता है, अन्य कोई नहीं।
न्यायशास्त्र के अध्ययन से व्यक्ति की बुद्धि परिष्कृत, तीक्ष्ण एवं विशद हो जाती है परन्तु यह न्यायशास्त्र विशेषत: नव्य न्याय का विषय इतना दुर्बोध है कि इस विषय की साधना में विद्वानों ने अपने बहुमूल्य जीवन के 12 वर्षों तक अनवरत संलग्न रहकर व्यतीत किया। उन्हीं त्यागी, तपस्वी विद्वानों की अटूट साधना का फल है, जो आज न्यायशास्त्र अपने सुविस्तृत एवं परिष्कृत साहित्य के साथ समाज के सामने ज्ञान के विकसित करने हेतु सुलभ हुआ है।