Manas Sukti Sudha / मानस सूक्ति सुधा
Author
: Bhagwandeo Pandey
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Personality Development & Inspirational Literature
Publication Year
: 2000
ISBN
: 9APMSSH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: xii + 104 Pages, Size : Demy i.e. 22 x 13.5 Cm.

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रामचरितमानस के माध्यम से तुलसीदास ने अपने युग को वाणी दी है और जनमानस मेंं आस्था एवं विश्वास की स्थापना का प्रयास किया है। जीवन के सभी पक्षों पर 'मानस' की छाप है। प्रत्येक्ष पक्ष पर किए गये उनके सुन्दर विचार लोकमानस में सूक्ति के रूप में कहे सुने जाते हैं। 'मानस' मानवीय अनुभूतियों का विश्वकोश है, इसलिए यह जनमानस का कंठाहार बना हुआ है। प्रत्येक पाठक को यह आभास होता है कि 'मानस' की रचना उसके लिए की गई है और 'मानस' उसके जीवन की अभिव्यक्ति है। उसके एक-एक शब्द बड़ी ही सतर्कता से गुँथे हैं। उसके ध्वनि, स्फोट और प्रत्येक शब्द की व्युत्पत्ति अपनी अलग कहानी कहती है। यह साहित्यिक संरचना, धार्मिक आख्यान, दार्शनिक मीमांसा, राजनैतिक सिद्धान्त-निरूपण, ऐतिहासिक एवं समाजशास्त्रीय विवेचन का ग्रन्थ है। तुलसी की यथार्थ अभिव्यंजना ही सूक्तियों के रूप में प्रस्तुत हुई हैं जो अनुभवों का निचोड़ हैं। उनकी उक्तियों में संगृहीत विचार आधारभूत तथा अनुप्रेक्षणीय हैं और उनके निष्कर्ष तर्कसंगत हैं। मानस की कितनी चौपाइयाँ तो अपना प्रसंग और अर्थ छोड़कर स्वतंत्र रूप से व्यवह्त होती हैं और अपनी सरलता, सुबोधता तथा सटीकता के कारण बड़ी ही उपयुक्त बैठती हैं। वार्ता मेंं अपने कथन की पुष्टिï एवं सुदृढ़ता, आचरण के समर्थन तथा नीति-निर्देशन के लिए 'मानस' की पंक्तियाँ हमें जीवन का संदेश देती हैं। ये समाज एवं देश को एक दिशा देने में सक्षम हैं तथा समस्याओं के निराकरण के लिए उपयुक्त हैं। 'मानस' में विविध प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाओं, प्राकृतिक नियमों, लोक आस्थाओं आदि पर सारगर्भित उक्तियाँ जो भविष्य मेंं प्रेरक बनती हैं, दी गई हैं। इस ग्रन्थ में 'मानस' में प्रयुक्त सूक्तियों का संकलन किया गया है।