Lok Rin : Bangangi Mukta Hai (Samiksha) Tutate Hue Gaon Ka Dastavej / लोक ऋण : बनगंगी मुक्त है (समीक्षा) टूटते हुए गाँव का दस्तावेज
Author
: Servajit Ray
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Hindi Literary Criticism / History / Essays
Publication Year
: 2014
ISBN
: 9789351460220
Binding Type
: Paper Back
Bibliography
: viii + 96 Pages, Size : Demy i.e. 20.5 x 13.5 Cm.

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विवेकी राय ग्रामीण संस्कृति के सशक्त कथाकार हैं। गाँव की माटी की गंध उनमें रची बसी है। अर्ध शताब्दी से विवेकी राय पल-प्रतिपल बदलते गाँव के समीकरण को देखते आ रहे हैं, आत्मसात् करते आ रहे हैं और अपनी कृतियों में अभिव्यक्त करते आ रहे हैं। प्रेमचन्द की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, स्वतंत्रता के पश्चात् देश की राजनीति से प्रभावित और बदलते सामाजिक पारिवारिक परिवेश का चित्रण विवेकी राय की कृति 'लोकऋणÓ जिसे नये नाम 'बनगंगी मुक्त हैÓ के नाम से प्रकाशित है, में किया गया है। आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वरनाथ रेणु और ग्राम्य जीवन को उजागर करने वाले प्रेमचन्द का मणिकांचन योग विवेकी राय की कृति में है। विभिन्न समीक्षकों ने 'लोकऋण : बनगंगी मुक्त हैÓ के परिप्रेक्ष्य में विवेकी राय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को परखने का प्रयास किया है, इस पुस्तक का यही संदर्भ है।