Goonjane Do Use (Collection of Poems) / गूँजने दो उसे (कविताओं का संग्रह)
Author
: Bachchan Singh (Journalist)
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Hindi Poetical Works / Ghazal etc.
Publication Year
: 1992
ISBN
: 9VPGDUH
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 64 Pages, Size : Demy i.e. 22 x 14.5 Cm.

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बच्चन सिंह ने इस काव्य-संकलन के गीतों में कृत्रिमता और दिखावटीपन नहीं है। उनके गीतों में कथ्य को प्राय: प्रतीकात्मक बिम्बों के माध्यम से व्यक्त किया गया है और वे प्रतीक दुरूह और अबूझ नहीं हैं। वे अर्थ को और भी पैना और धारदार बना देते हैं। इस संकलन में कवि ने अधिकतर सांकेतिक और प्रत्यक्ष बिम्बों का प्रयोग किया है जिससे सन्दर्भ और वातावरण के प्रभाव चित्रमय बन गये हैं। जैसे- गाँव के उस छोर से जो, नदी जो गुमसुम बह रही है बँध गये उसके अचानक पाँव, पीढिय़ो के द्वार पर जो नीम पहरा दे रही है, हो गयी नीलाम उसकी छाँव बि?बधर्मिता नवगीत की सबसे बड़ी पहचान है। बच्चन ङ्क्षसह के इन गीतों मेंं इस तरह के बिम्बों का बहुतायत से प्रयोग हुआ है। अत: उन्हें वास्तविकता नवगीत कहा जा सकता है। इन गीतों में आधुनिकता-बोध के साथ-साथ भारतीयता और भारत की धरती के साथ गहरी स?पृक्ति की भी अभिव्यक्ति हुई है। जिन गीतों में कवि ने व्यक्तिगत मनोदशाओं का वर्णन किया है उनमें अधिकतर उपचेतन में दमित काम को प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। उनमें संत्रास, दहशत और अजनबीपन के आधुनिकतावादी प्रभाव दिखाई पड़ते हैं। महानगरों की यांत्रिकता, मूल्यहीनता और विसंगतियों का चित्रण भी कवि ने कई गीतों में किया है किन्तु कवि की जीवनाभूतियाँ महानगरों, नगरों और सभ्य समाज तक ही सीमित नहींं है। वह मूलत: ग्रामबोध का कवि है क्योंकि उसके व्यक्तित्व की जड़े गाँव की धरती में गहराई तक गयी हैं उसे ग्रामीण जनों की पीड़ा और दर्द का अनुभूत साथ है। ग्रामीण जीवन की स्थितियों के अतिरिक्त बच्चन ङ्क्षसह ने ग्रामीण परिवेश के यथार्थ चित्र भी प्रस्तुत किये हैं, जिससे भारत की धरती और उसके विविध रुपों के प्रति उनकी गहरी सम्पृक्ति का पता चलता है। उनके गीतों में भारतीयता-बोध भरपूर मात्रा में वर्तमान है। यह उनकी मानसिकता का अंग है। अत: यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भविष्य में बच्चन सिंह की गीत कविताओं में आधुनिकता-बोध और भारतीयता-बोध उत्तरोत्तर समन्वित होकर काव्यात्मक निखार पायेगा और वे एक सफल नव-गीतकार सिद्ध होंगें। -डॉ० शम् भुनाथ ङ्क्षसह