Aparadh Ke Naye Ayam Tatha Police Ki Samasyayen / अपराध के नये आयाम तथा पुलिस की समस्याएँ (पुनर्वास, प्रोबेशन तथा जेल प्रशासन सहित)
Author
: Paripurnanand Verma
Language
: Hindi
Book Type
: Reference Book
Category
: Sociology, Religion & Philosophy
Publication Year
: 1988
ISBN
: 8171240208
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 194 Pages, Size : Demy i.e. 21.5 x 14 Cm.
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विज्ञान के नये आविष्कार तथा बढ़ती हुई जनसंख्या अपराध के नित्य नये आयाम उपस्थित कर रहे हैं। अपराध के नये-नये तरीके पुलिस और प्रशासन के लिए जटिल समस्यायें खड़ी कर रही हैं। मादक द्रव्य के अपराधी, आतंकवादी तथा माफिया आदि की धर-पकड़ पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही है। राजनीतिक दबाव तथा न्यायालय से अपराधी को मुक्त कर दिये जाने से पुलिस का मनोबल गिरता जा रहा है। लेखक ने इन सभी समस्याओं पर विश्व के अन्य देशों के सन्दर्भ सहित गम्भीरतापूर्वक विचार किया है। अपराधी के सुधार तथा अपराध के रोकथाम में पुलिस की क्या भूमिका हो, लेखक ने इस पुस्तक में यह भी बताने का प्रयास किया है। यह पुस्तक प्रत्येक पुलिसकर्मी तथा प्रशासन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
विषय-सूची : अनिर्णीत रिपोर्ट, छवि सुधारी, पुलिस में परिवर्तन आवश्यक, व्यकित्व, पुलिस और कानून, त$फतीश, 1961 का इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, जाँच की आवश्यक प्रतिक्रिया, अपराध में प्रगति और नया मोड़, अपराधी नगर, स्थानीय कानून और विशेष कानून, बाल अपराध, बालिग अपराधी, विचाराधीन, आत्महत्या, बाल अपराधी मनोवृत्ति, बच्चों का दुरुपयोग, शहर और ग्राम की अलग समस्या, सामाजिक जीवन और अपराध, पारिवारिक विग्रह, सभ्यता का प्रसार : नगर तथा देहात की बढ़ती खाई, मादक द्रव्य, आतंकवाद, मादक-द्रव्य तथा आतंकवादी, आॢथक अपराध और भ्रष्टïाचार, राजनीतिक हस्तक्षेप और पुलिस की कठिनाइयाँ, वृद्धों के प्रति अपराध, आंतकवाद का विस्तार तथा बलात्कार, सन् 2000 की तैयारी, पुलिस का आधुनिकीकरण, अग्निकाण्ड, आग लगाने वालों का व्यक्तित्व, मोटरकार दुर्घटना, मोटर सवारियों की चोरी, कार दुर्घटना क्यों, गन्दे वीडियो $िफल्म, अपराध और बदलता समय, दुराचरण की व्याख्या, अदालत, पुलिस तथा समाचार पत्र, पुनर्वास की समस्या, छोटी मियाद की कैद व अपराध, जेल बनाम प्रोबेशन सेवा, गैर सरकारी संस्थाओं का महत्व, पुलिस का आत्मबल बढ़ाना चाहिए, उपसंहार, सुधार का उपाय क्या है? जेल तथा प्रोबेशन, दोनों बेकार, हर देश की समस्या, पेरोल भी निरर्थक, क्या अर्थदण्ड दें? सामुदायिक सेवा, क्या फाँसी देने से अपराध रुकेगा? जनमत संग्रह, अमेरिकन शोध कार्य, मादक-द्रव्य का प्रकोप, चिन्ताजनक आँकड़े, अनिश्चित स्थिति, जेल न भेजो, विश्वव्यापी भ्रष्टïाचार समस्या, ईमानदार कैसे रहें, ईमानदारी फलती है, अपराध-स्थिति में परिवर्तन क्यों है, अपराधियों से कैसे निपटा जाय, खतरनाक कौन है? घर में ही जेल, अपराधी के अधिकार तथा पुलिस, संवैधानिक अधिकार का मामला, मनोवैज्ञानिक उत्पीडऩ, निजी पुलिस दल, कम्प्यूटर : पुलिस सेवा में, कम्प्यूटर तथा अपराध, कम्प्यूटर भी असफल।