Panchali / पांचाली (नाथवती-अनाथवत्)
Author
: Bachchan Singh
Language
: Hindi
Book Type
: General Book
Category
: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
Publication Year
: 2001
ISBN
: 8171242642
Binding Type
: Hard Bound
Bibliography
: viii + 136 Pages, Size : Demy i.e. 22 x 14 Cm.

MRP ₹ 125

Discount 20%

Offer Price ₹ 100

महाभारत के विलक्षण चरित्रों को औपन्यासिक रूप में ढालना बेहद कठिन है। कृष्ण द्वैपायन ने इनकी रचना में जगह जगह स्पेस छोड़ रखा है। उन चरित्रों पर लिखने का मतलब है खाली जगहों को पढऩा। पांचाली के लेखक बच्चन ङ्क्षसह इसे 'सूतो वा सूतपुत्रो वा' में प्रमाणित कर चुके हैं। द्रौपदी का चरित्र अपनी फाँकों के कारण अपनी बुनावट में जटिल हो गया है। इसका शीर्षक न द्रौपदी , न याज्ञसेनी। 'पांचाली' सभिप्राय प्रयोग है। एक अभूतपूर्व अनिंद्य सौन्दर्य। इसके जादू में वह स्वयं बँधी थी दूसरों को भी बाँधे रही। सौन्दर्यगर्विता नारी। पांडव इसी जादू के वशीभूत थे। पंजाब के खेतों की तरह लहराता हुआ उसका यौवन बाँध तोड़कर पाँच व्यक्तियों से एक साथ विवाह करता है। आयोंचित परम् परा की धज्जियाँ उड़ाता हुआ। जिस तरह पंजाब पाँच नदियों में विभाजित है उसी तरह पाँच पतियों में विभाजित द्रौपदी का अविभाजित व्यक्तित्व। यह विभाजित व्यक्तित्व ही उसे एक सम्पूर्ण भी बनाता है। ? के अधिकारों के पक्ष में फूटता हुआ पहला मुखर स्वर। इस उपन्यास में इस स्वर की अनुगूँज सर्वत्र व्याप्त है। पूरे महाभारत में प्रेम केवल द्रौपदी करती है- असफल प्रेम। वह अर्जुन से प्रेम करती है और अर्जुन यहाँ-वहाँ भटकता रहता है। भीम से प्रेम करना उसकी नियति है। युधिष्ठिïर रति-कक्ष में भी उबाऊ कथाएँ सुनाते हैं। कृष्ण का सखीत्व रहस्यमय है। कई बार उसका अपहरण होता है-जयद्रथ द्वारा कीचक द्वारा। इस जद्दोजहज में उसका निर्माण भी होता है। उसके जीवन का सर्वाधिक दुखद और त्रासद अध्याय है- कुरुओं की भरी सभा में उसे नंगा करने का प्रयास। वह अभी भी जारी है। नंगा होते-होते वह ज्वालामुखी में बदल गई, दु:शासन द्वारा खीचें गए उसके काले घुँघराले केश कुचले साँप की तरह फुत्कार उठे। नारी अपना अपमान नहीं भूलती। कुरुक्षेत्र का मैदान अपमान की चिताओं में धू-धू कर जल उठता है। नारी मुक्ति आन्दोलन की नीव का पहला पत्थर द्रौपदी ही रखती है। 'पांचाली' में इसके साथ ही है 'कचिदन्यतोपि'।