Hastinapur Ka Shudra Mahamatya / हस्तिनापुर का शूद्र महामात्य (भारत की अहिंसक सामाजिक व्यवस्था का दर्पण)
					
					 
					Author
						: Yogeshwar
						Language
						: Hindi
						Book Type
						: General Book
						Category
						: Adhyatmik (Spiritual & Religious) Literature
						
						Publication Year
						: 2002
						ISBN
						: 8171242669
						Binding Type
						: Hard Bound
						Bibliography
						: viii + 152 Pages, Size : Demy i.e. 22.5 x 14.5 Cm.
						MRP ₹ 140
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						महाभारत में नीतिशास्त्र के सबसे महत्त्वपूर्ण वक्ता विदुर हैं। कौरव कुल के महामात्य विदुर शूद्र शरीर में धर्म के अवतार हैं। कौरवों के महामात्य होकर भी वे महाभारत युद्ध से अलग हैं। हर क्षण सत्य बोलते हैं, सत्य करते हैं। युधिष्ठिर, धृतराष्ट्र एवं श्रीकृष्ण समान भाव से उन पर विश्वास करते हैं। न चाह कर भी दुर्योधन उन्हें बर्दाश्त करता है। उन्होंने लाक्षागृह में जलने से पाण्डवों की रक्षा की थी। द्यूत की निंदा की थी। दुर्योधन को बार-बार डाँटा था। धृतराष्ट्र को उत्तम सलाह दी थी-वे दुर्योधन का परित्याग करें, यह कुल नाशक है।
उनमें शूद्र होने की हीनता का नितांत अभाव है। सभा में दु:शासन द्रौपदी को नंगा कर रहा था। उस समय भीष्म जैसे महारथी, महात्मा भी मौन है। वे मन से पाण्डवों के साथ हैं। किन्तु तन कौरवों को दे दिया है। कौरवों के लिये ही मरते, मारते हैं। विदुर में कोई ऐसा कोई द्वैध नहीं है। उनका पक्ष स्पष्ट है। रिश्ते में वे पाण्डव माता कुंती की बहन है। पाण्डव को 13 वर्षों का वनवास भोगना है। पाण्डव द्रौपदी के साथ वन गए। पाण्डव माता कुंती विदुर के घर रहीं।
विदुर ने कभी, किसी भी स्तर का शस्त्र नहीं ग्रहण किया। उनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व अहिंसक सत्याग्रही का है। इस महान अहिंसक योद्धा शूद्र महामात्य एवं सत्याग्रही की कथा भारतीय राजनीति और सामाजिक जीवन को दिशा देती है।